क्लीन इंडिया पुलिरे 2013 के 10वें संस्करण के दौरान क्लीन इंडिया जर्नल द्वारा आयोजित पैनल डिस्कशन केन्द्रित रहा FSSAI नियमों के क्रियान्वयन और उनकी चुनौतियों पर। रेस्त्राओं, फ़ास्ट फ़ूड जॉइंट और बेकरियों के 20 से अधिक प्रतिनिधियों ने इस चर्चा में भाग लिया जिसकी मेज़बानी की एफूज़ो प्राइवेट लिमिटेड के गुणता आश्वासन प्रबंधक ज़र्सेज़ ईरानी; फ़ूड सेफ़्टी-सील्ड एयर, इंडिया प्रमुख, पीसी अनिल कुमार और ईक्विनॉक्स लैब्स, ब्रैंडिंग ऐंड न्यू इनिशिएटिव्स-FSSAI ऐंड कंप्लायंस के विशेषज्ञ अश्विन भाद्री ने।
अश्विन भाद्री: फ़ूड इंडस्ट्री में साफ़-सफ़ाई और स्वच्छता बहुत महत्त्वपूर्ण है और इसपर नज़र रखना का काम जो सरकारी विभाग करता है वह है भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI)। इस काम को वह देश में नवीनतम खाद्य सुरक्षा
मानदंडों को निर्धारित करके करती है। पिछले वर्षों में सुझाए गए सुरक्षा के सभी मानदंड अप्रचलित व अनुपयोगी साबित हुए हैं। 2006 में FSSAI अस्तित्व में आया और 2011 में एक नई संस्था कार्यान्वित हुई। इस अधिनियम में हुए सबसे बड़े बदलावों में से एक था दंड का प्रारूप – यह खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, जो देश में अब तक का सबसे बड़ा अधिनियम था, से 100 से 200 गुना अधिक शक्तिशाली था।
तीन वर्ष पहले हुई एक घटना का उदाहरण है: मुंबई के ठाणे में जब एक व्यक्ति को पानीपुरी की बाल्टी में पेशाब करते हुए एक कैमरे ने कैद किया तो उसे जेल में एक रात बिताने के साथ 1200 रूपए का जुर्माना देना पड़ा। लेकिन अगर यही घटना आज के समय में घटी होती तो उसे 5-6 लाख रूपए जुर्माने के साथ कम से कम 6-8 वर्ष जेल में बिताने पड़ते।
इसलिए खाद्य सुरक्षा क़ानून द्वारा लाया गया यह सबसे बड़ा बदलाव है। दूसरे, यह अपेक्षा की जाती है कि फ़ूड चेन से जुड़ा प्रत्येक व्यक्ति FSSAI के साथ पंजीकृत हो। जो कोई भी किसी भी प्रकार से खाद्य पदार्थ का उत्पादन करता, भंडारण करता, प्रक्रम करता, बेचता या पेश करता है, वह FSSAI के अंतर्गत आता है। प्राधिकरण के व्यापार के भी कई अवसरों के लिए द्वार खोल दिए हैं।
अनिल कुमार: एक ऑडिटर होने के नाते मैं कई उद्योगों में दौरे पर जाता हूँ – खाद्य एवं पेय, अस्पतालों के किचन, रेलवे और अन्य। अमूमन जब हम व्यवस्थाओं को देखते हैं तो हम ये अपेक्षा करते हैं कि घोषित या अघोषित, दोनों ही प्रकार के ऑडिट के दौरान व्यवस्थाएं बनी रहें। FSSAI के नियमों में अक्सर जिस शब्द का उल्लेख किया जाता है वह है सम्मिश्रण। दूसरा शब्द जो आप पाते हैं वह है प्रलेखन। रिकॉर्ड रखना सबसे बड़े कामों में से एक है। तीसरा भाग जो आप पाते हैं वह है सफ़ाई। अतः सम्मिश्रण, सफ़ाई और रिकॉर्ड रखना नियमावली में वर्णित तीन ऐसे क्षेत्र हैं जिनपर हमें ध्यान देना है। बहरहाल, यह पाया गया है कि अमरीकी या यूरोपीय मानकों से लिए गए अधिकतर नियम भारतीय उद्योगों के लिए नए हैं। उदाहरण के तौर पर, पिघलना वह विधि है जहाँ प्रयुक्त तापमान 180oC से 50oC तक होता है, जो कि आमतौर पर रेफ्रिजरेशन प्रक्रिया है। लेकिन FSSAI के नियमों में यह स्पष्ट उल्लिखित है कि पिघलाने की विधि बहते पानी में की जा सकती है, जबकि तापमान 150oC से कम होना चाहिए और यदि अंतर्राष्ट्रीय मानक की बात करें तो यह क़रीब 210oC होता है। इसलिए कुछ खंड और विनियम अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों से काफ़ी सख्त़ होते हैं। यह एक तरह से अच्छा हो सकता है, मगर साथ ही साथ हमें प्रणालियों को उनकी जगह पर स्थित कर आगे बढ़ जाना चाहिए। इस वर्ष फ़रवरी से यह अनिवार्य कर दिया गया है कि सभी बड़ी कंपनियों के पास लाइसेंस और छोटी कंपनियों के पंजीकरण हो जाने चाहिए।
ज़र्सेज़ ईरानी: FSSAI को सामने रखकर मूलतः यह अपेक्षा की जाती है कि हर कोई, ख़रीदे जाने से खाए जाने तक, खाद्य सुरक्षा के प्रति गंभीर हो। खाने के बाद व्यक्ति के साथ कुछ भी बुरा नहीं होना चाहिए। सप्लायर को ऑर्डर देने से ही सुरक्षा की शुरुआत हो जाती है और प्राप्त करने, भंडारण और सर्विसिंग तक चलती है। यह एक लंबी प्रक्रिया है। मैं अपनी कंपनी की सभी साइटों के दौरे करता हूँ और कर्मचारियों को खाद्य पदार्थ को संभालने का प्रशिक्षण देता हूँ। इसलिए जब हम कोई सेवा शुरू करते हैं तो हम तुरंत ही FSSAI से प्रमाणीकृत होने के लिए आवेदन कर देते हैं। FSSAI के सक्रिय होने से पूर्व, हम पहले से ही इसे डाइवर्सी ऐंड शेवरन व अन्यों के साथ मिलकर कर रहे थे ताकि रखरखाव में हमें मदद मिल सके।
खाद्य सुरक्षा का पहला चरण है निजी स्वच्छता — साबुन और सैनिटाइज़र के बीच के अंतर को समझना। हाथ धुलने जैसी बुनियादी क्रिया को वैज्ञानिक ढंग से नहीं किया जाता। हाथ धुलने के बाद, यदि कोई मज़दूर अपनी यूनिफ़ॉर्म पर ही हाथ पोंछ ले तो क्या फ़ायदा?
अश्विन कहते है : सम्मिश्रण की समस्या पूरे खाद्य उद्योग में फैली हुई है। जागरूकता आरंभिक स्तर से ही आनी चाहिए — निजी स्वच्छता सबसे पहले, उसके बाद नियमावली। हम एक रेस्त्रां के मालिक या मैनेजर को प्रशिक्षित करते हैं, मगर सुरक्षा स्तर ऊपर नहीं जाता; हम फैसिलिटी हेड या चीफ़ शेफ़ को प्रशिक्षित करते हैं, मगर सुरक्षा स्तरों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं होती। मेरी कंपनी हर महीने खाद्य सुरक्षा स्तरों और अन्य कंपनियों पर नज़र रखती है। हमें किसी प्रकार का कोई सुधार देखने को नहीं मिला। लेकिन जब हमने खाद्य पदार्थों को संभालने वाले लोगों को प्रशिक्षित करना शुरू किया तो सुधार नज़र आने लगा। चूँकि उनमें से अधिकतर को पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के साथ समस्या थी, इसलिए हमें उनकी मातृभाषा में आसान विज़ुअल आधारित प्रेजेंटेशन तैयार करने पड़े। यह जानना महत्त्वपूर्ण है कि माइक्रोओर्गैनिज्म क्या है, कहाँ से आते हैं, खाद्य पदार्थ के रखरखावकर्ता के तौर पर ऐसे कौन से छोटे-छोटे उपाय किए जा सकते हैं जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि अंतर-सम्मिश्रण को बाधित करते हुए यह माइक्रोओर्गैनिज्म उपभोक्ता तक न पहुँचे।
यदि कोई स्थान गन्दा है और आप उसपर कुछ रखते हैं तो वह आरंभिक स्तर से ही सम्मिश्रित हो जाता है।
खाद्य व्यवसाय में एक कंपनी के तौर पर हम दो प्रकार के लोगों का सामना करते हैं। एक कोई ऐसा जो इस व्यवसाय में पिछले 10-15 वर्षों से है और खाद्य सुरक्षा संबंधी किसी बात को सुनना नहीं चाहता। वह इसे कई वर्षों से करता आ रहा है और उसे लगता है कि उसे सबकुछ पता है। दूसरे प्रकार का व्यक्ति वह है जो हाल ही में इस व्यसाय में आया है और सुनने का अधिक इच्छुक है। कुल मिलकर, लोगों को मानदंडों का पालन करने का लाभ दिखने लगा है और बदलाव हो रहा है।
हमारे शोध में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई। हमने पाया कि आहार विषाक्तता के 99% मामलों की रिपोर्ट नहीं की जाती।
हम सभी रेस्त्राओं में खाते हैं। मगर खाने के इन स्थानों पर हम अन्य लोगों को नहीं जानते। किसी स्थान पर खाने के बाद जब हम बीमार पड़ते हैं तो हम उस घटना की रिपोर्ट नहीं करते। इसी के साथ, यदि शादी की पार्टी या स्कूल में कुछ होता है, तो आहार विषाक्तता की तुरंत रिपोर्ट होती है। आहार विषाक्तता हर रोज़, हर जगह होती है, मगर इसकी कहीं रिपोर्ट नहीं होती। धीरे-धीरे सोशल मीडिया में यह बात सामने आ रही है। अमरीका में यह पहले ही शुरू हो चुका है। फ़ेसबुक, लिंकेडिन आदि के साथ यह चलन यहाँ भी बढ़ रहा है।
अमरीकी सुरक्षा इन सभी डाटा का रिकॉर्ड अपने ऑडिटों में रखती है। दुर्भाग्यवश, भारत में ऐसा नहीं है। फ़ूड पॉइज़निंग को बहुत गंभीरता से नहीं लिया जा रहा, जो खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने के देश के प्रयासों को नुकसान पहुँचा रहा है। अब FSSAI और FDA एक हेल्पलाइन खोलने और इन मामलों को अधिक जानकारी के साथ सार्वजनिक करने जा रही हैं।